जीना चाहता हूँ मगर जिंदगी रास नहीं आतीजीना चाहता हूँ मगर जिंदगी रास नहीं आतीमरना चाहता हूँ मगर मौत पास नहीं आतीउदास हूँ इस जिंदगी से इसलिए क्योंकिउसकी यादें तडपाने से बाज नहीं आती
जियो जिंदगी जरुरत के मुताबिकजियो जिंदगी जरुरत के मुताबिक;ख्वाइशों के मुताबिक नहीं;जरुरत फ़क़ीर भी कर लेता हैं पूरी;ख्वाइश कभी बादशाह की भी पूरी नहीं हुई।
शायद यह वक़्त हम से कोई चाल चल गयाशायद यह वक़्त हम से कोई चाल चल गयारिश्ता वफ़ा का और ही रंगों में ढ़ल गयाअश्क़ों की चाँदनी से थी बेहतर वो धूप हीचलो उसी मोड़ से शुरू करें फिर से जिंदगी
रब ने नवाजा हमें जिंदगी देकररब ने नवाजा हमें जिंदगी देकरऔर हम शौहरत मांगते रह गयेजिंदगी गुजार दी शौहरत के पीछेफिर जीने की मौहलत मांगते रह गये
ये ना पूछ कि शिकायतें कितनी है तुझसेये ना पूछ कि शिकायतें कितनी है तुझसे;ए जिंदगी, सिर्फ ये बता कि तेरा कोई और; सितम बाकि तो नहीं है।
अपनी जिंदगी के अंधेरों का शुक्रगुजार हूँ मैंअपनी जिंदगी के अंधेरों का शुक्रगुजार हूँ मैं;जब से मुझे पता चला है कि;तेरी रौशनी ने तुझे अंधा बना दिया...