होठों को छुआ उसने तोहोठों को छुआ उसने तो, एहसास अब तक हैआंखे नम हुई तो सांसो में आग अब तक हैवक़्त गुजर गया, पर उसकी याद नही गईक्या कहूं, "हरी मिर्च का स्वाद अब तक है!
शब्दों को होठों पर रखकर दिल के भेद ना खोलोशब्दों को होठों पर रखकर दिल के भेद ना खोलोमैं आँखों से सुन सकता हूँ तुम आँखों से बोलो