हुनर अब आ गया मुझको वफाओं को परखने काहुनर अब आ गया मुझको वफाओं को परखने का.दिखावे की हर एक चाहत मैं वापिस मोड़ देता हूँ।
जाने उस शक्स को कैसा ये हुनर आता हैजाने उस शक्स को कैसा ये हुनर आता हैरात होती है तो आँख में उतर आता हैमैं उसके ख्याल से निकलूं तो कहाँ जाऊंवो मेरी सोच के हर रास्ते पर नज़र आता है
इक हुनर है जो कर गया हूँ मैंइक हुनर है जो कर गया हूँ मैंसब के दिल से उतर गया हूँ मैंकैसे अपनी हँसी को ज़ब्त करूँसुन रहा हूँ कि घिर गया हूँ मैं