इतना तो ज़िंदगी मेंइतना तो ज़िंदगी में..इतना तो ज़िंदगी में किसी की ख़लल पड़ेहँसने से हो सुकून ना रोने से कल पड़ेजिस तरह हँस रहा हूँ मैं पी-पी के अश्क-ए-ग़मयूँ दूसरा हँसे तो कलेजा निकल पड़ेएक तुम के तुम को फ़िक्र-ए-नशेब-ओ-फ़राज़ हैएक हम के चल पड़े तो बहरहाल चल पड़ेमुद्दत के बाद उस ने जो की लुत्फ़ की निगाहजी ख़ुश तो हो गया मगर आँसू निकल पड़ेसाक़ी सभी को है ग़म-ए-तश्नालबी मगरमय है उसी के नाम पे जिस के उबल पड़े
कैसे कहें कि आपके बिन यह ज़िंदगी कैसी हैकैसे कहें कि आपके बिन यह ज़िंदगी कैसी हैदिल को हर पल जलाती यह बेबसी कैसी हैन कुछ कह पाते हैं और न कुछ सह पाते हैंन जाने तक़दीर में लिखी यह आशिकी कैसी है
तेरे ना होने से ज़िंदगी में बस इतनी सी कमी रहती हैतेरे ना होने से ज़िंदगी में बस इतनी सी कमी रहती हैमैं चाहे लाख मुस्कुराऊँ फिर भी इन आँखों में नमी रहती है