आत्मा तो हमेशा से जानती है कि सही क्या हैआत्मा तो हमेशा से जानती है कि सही क्या हैचुनौती तो मन को समझाने की होती है
वो चुपके से ज़रूर आएंगे मिलने मुझसेवो चुपके से ज़रूर आएंगे मिलने मुझसेहकीकत में नहीं तो सपने में ही सही
मरहम न सही कोई ज़ख्म ही दे दो ऐ ज़ालिममरहम न सही कोई ज़ख्म ही दे दो ऐ ज़ालिममहसूस तो हो कि तुम हमें अभी भूले नहीं हो
निकलते हैं तेरे आशियां के आगे से यह सोच कर कि तेरा दीदार हो जायेगानिकलते हैं तेरे आशियां के आगे से यह सोच कर कि तेरा दीदार हो जायेगाखिड़की से तेरी सूरत न सही तेरा साया तो नजर आएगा