अलग बैठे थे फिर भी आँख साकी की पड़ी मुझ परअलग बैठे थे फिर भी आँख साकी की पड़ी मुझ परअगर है तिश्नगी कामिल तो पैमाने भी आयेंगे।अर्थतिश्नगी - प्यास, पिपासा, तृष्णा, लालसा, अभिलाषा, इश्तियाककामिल - पूरा, सम्पूर्ण, मुकम्मलपैमाने - शराब का गिलास, पानपात्
ज़बाँ सुख़न को सुख़नज़बाँ सुख़न को सुख़न..ज़बाँ सुख़न को सुख़न बाँकपन को तरसेगासुख़नकदा मेरी तर्ज़-ए-सुख़न को तरसेगानये प्याले सही तेरे दौर में साक़ीये दौर मेरी शराब-ए-कोहन को तरसेगामुझे तो ख़ैर वतन छोड़ के अमन न मिलीवतन भी मुझ से ग़रीब-उल-वतन को तरसेगाउन्हीं के दम से फ़रोज़ाँ हैं मिल्लतों के चराग़ज़माना सोहबत-ए-अरबाब-ए-फ़न को तरसेगाबदल सको तो बदल दो ये बाग़बाँ वरनाये बाग़ साया-ए-सर्द-ओ-समाँ को तरसेगाहवा-ए-ज़ुल्म यही है तो देखना एक दिनज़मीं पानी को सूरज किरन को तरसेगा
कितनी पी कैसे कटी रातकितनी पी कैसे कटी रात..कितनी पी कैसे कटी रात मुझे होश नहींरात के साथ गई बात मुझे होश नहींमुझको ये भी नहीं मालूम कि जाना है कहाँथाम ले कोई मेरा हाथ मुझे होश नहींआँसुओं और शराबों में गुजारी है हयातमैं ने कब देखी थी बरसात मुझे होश नहींजाने क्या टूटा है पैमाना कि दिल है मेराबिखरे-बिखरे हैं खयालात मुझे होश नहीं