रौशनी करता हूँ अँधेरा मिटाने के लिएरौशनी करता हूँ अँधेरा मिटाने के लिएशराब पीता हूँ मैं तुझको भुलाने के लिएक्यों न बन सकी तुम मेरी ज़िंदगीआज भी रोता हूँ सोच कर गुज़रे ज़माने के लिए
अब जिस के जी में आये वही पाये रौशनीअब जिस के जी में आये वही पाये रौशनीहम ने तो दिल जला कर सरेआम रख दिया