समझा दो अपनी यादों कोसमझा दो अपनी यादों को;वो बिना बुलाये पास आया करती हैं;आप तो दूर रहकर सताते हो मगर;वो पास आकर रुलाया करती हैं।
यादों से दिल भरता नहींयादों से दिल भरता नहींदिल से यादें निकलती नहींयह कैसी कशमकश हैआपको याद किये बिना दिल को चैन मिलता नहीं
बनकर लब्ज मेरी किताबों में मिलनाबनकर लब्ज मेरी किताबों में मिलनाबनकर खुशबु की महक मेरे गुलाबों में मिलनाजब आयेगी तुम्हें हमारी यादतब बनकर ख्वाब मेरी आँखों में मिलना
जख्म देने की आदत नहीं हमकोजख्म देने की आदत नहीं हमकोहम तो आज भी वो अहसास रखते हैंबदले-बदले तो आप हैं जनाबहमारे अलावा सबको याद रखते हैं
वक्त हर चीज़ मिटा देता हैवक्त हर चीज़ मिटा देता हैहसीन लम्हों को भुला देता हैपर नहीं मिटा सकता दोस्तों की यादेंक्योंकि वक्त खुद ही दोस्तों की याद दिला देता है
कब तक खुद को रोक पाएगीकब तक खुद को रोक पाएगीबिना मेरे न वो रह पाएगीमैं बस जाऊंगा उसकी यादों में इस तरहकि फिर वो दूसरों को याद करना भूल जाएगी।