किया इश्क़ ने मेरा हाल कुछ ऐसाकिया इश्क़ ने मेरा हाल कुछ ऐसाना अपनी खबर ना ही दिल का पता हैकसूरवार थी मेरी ये दौर-ए-जवानीमैं समझता रहा सनम की खता है
फुर्सत किसे है ज़ख्मों को सरहाने कीफुर्सत किसे है ज़ख्मों को सरहाने कीनिगाहें बदल जाती हैं अपनों-बेगानों कीतुम भी छोड़कर चले गए हो हमें ओ सनमअब तो तमन्ना ही नहीं रही किसी और से दिल लगाने की