बस एक बार किसी ने गले लगाया थाबस एक बार किसी ने गले लगाया थाफिर उस के बाद न मैं था न मेरा साया थागली में लोग भी थे मेरे उस के दुश्मन लोगवो सब पे हँसता हुआ मेरे दिल में आया थाउस एक दश्त में सौ शहर हो गए आबादजहाँ किसी ने कभी कारवाँ लुटाया थावो मुझ से अपना पता पूछने को आ निकलेकि जिन से मैं ने ख़ुद अपना सुराग़ पाया थाउसी ने रूप बदल कर जगा दिया आख़िरजो ज़हर मुझ पे कभी नींद बन के छाया था'ज़फर' की ख़ाक में है किस की हसरत-ए-तामीरख़याल-ओ-ख़्वाब में किस ने ये घर बनाया था