ज़ख्म देने की आदत नहीं हमकोज़ख्म देने की आदत नहीं हमकोहम तो आज भी वो एह्साह रखते हैंबदले-बदले तो आप हैं जनाबहमारे आलावा सबको याद रखते हैं
बदले तो नहीं हैं वो दिल-ओ-जान के क़रीनेबदले तो नहीं हैं वो दिल-ओ-जान के क़रीनेआँखों की जलन, दिल की चुभन अब भी वही है