मुझ से पहली सी मोहब्बतमुझ से पहली सी मोहब्बत..मुझ से पहली सी मोहब्बत मेरे महबूब न माँगमैंने समझा था कि तू है तो दरख़्शाँ है हयाततेरा ग़म है तो ग़म-ए-दहर का झगड़ा क्या हैतेरी सूरत से है आलम में बहारों को सबाततेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या हैतेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या हैतू जो मिल जाये तो तक़दीर निगूँ हो जायेयूँ न था मैं ने फ़क़त चाहा था यूँ हो जायेऔर भी दुःख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवाराहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा
उसे जब याद आएगा वो पहली बार का मिलनाउसे जब याद आएगा वो पहली बार का मिलनातो पल पल याद रखेगा या सब कुछ भूल जायेगाउसे जब याद आएगा गुज़रे मौसम का हर लम्हातो खुद ही रो पड़ेगा या खुद ही मुस्कुराएगा