काश हम तुमकाश हम तुम..काश हम तुम अजनबी होतेजिस तरह लोग हुआ करते हैंबे ताल्लुक से बे तार्रुफ सेकाश हम तुम अजनबी होतेबेकरारी ना बे काली होतीना मुकम्मल ना ज़िंदगी होतीयूँ ना होती अजयातें दिल मेंज़िंदगी भी ना होती मुश्किल मेंआंसुओं से ना दोस्ती करतेअपने दिल से ना दुश्मनी करतेदूसरों की तरह हम भी रहतेकाश हम तुम अजनबी होते
गुज़रे दिनों की याद बरसती घटा लगेगुज़रे दिनों की याद बरसती घटा लगेगुज़रूँ जो उस गली से तो ठंडी हवा लगेमेहमान बन के आये किसी रोज़ अगर वो शख़्सउस रोज़ बिन सजाये मेरा घर सजा लगेमैं इस लिये मनाता नहीं वस्ल की ख़ुशीमेरे रक़ीब की न मुझे बददुआ लगेवो क़हत दोस्ती का पड़ा है कि इन दिनोंजो मुस्कुरा के बात करे आश्ना लगेतर्क-ए-वफ़ा के बाद ये उस की अदा 'क़तील'मुझको सताये कोई तो उस को बुरा लगे।
दोस्ती को बड़े प्यार से निभाएंगेदोस्ती को बड़े प्यार से निभाएंगेकोशिश रहेगी तुझे न सतायेंगेकभी पसंद न आये मेरा साथ तो बता देनागिन भी न पाओगे इतने "थप्पड़" लगाएंगे
दर्द से दोस्ती हो गई यारोदर्द से दोस्ती हो गई यारोजिंदगी बेदर्द हो गई यारोक्या हुआ, जो जल गया आशियाना हमारादूर तक रोशनी तो हो गई यारो
दर्द से दोस्ती हो गई यारोंदर्द से दोस्ती हो गई यारोंजिंदगी बे दर्द हो गई यारोंक्या हुआ जो जल गया आशियाना हमारादूर तक रोशनी तो हो गई यारो
दोस्ती जब किसी से की जाये तो दुश्मनों की भी राय ली जायेदोस्ती जब किसी से की जाये तो दुश्मनों की भी राय ली जायेमौत का ज़हर है फिज़ाओं में अब कहाँ जा कर सांस ली जायेबस इसी सोच में हूँ डूबा हुआ कि ये नदी कैसे पार की जायेमेरे माज़ी के ज़ख़्म भरने लगे हैं आज फिर कोई भूल की जाये