मय रहेमय रहे, मीना रहे, ग़र्दिश में..मय रहे, मीना रहे, ग़र्दिश में पैमाना रहेमेरे साक़ी तू रहे, आबाद मयखाना रहेहश्र भी तो हो चुका, रुख़ से नहीं हटती नक़ाबहद भी आख़िर कुछ है, कब तक कोई दीवाना रहेरात को जा बैठते हैं, रोज़ हम मजनूं के पासपहले अनबन रह चुकी है, अब तो याराना रहेज़िन्दगी का लुत्फ़ हो, उड़ती रहे हरदम रियाज़हम हों, शीशे की परी हो,घर परीखाना रहे
मय रहेमय रहे, मीना रहे..मय रहे, मीना रहे, ग़र्दिश में पैमाना रहेमेरे साक़ी तू रहे, आबाद मयखाना रहेहश्र भी तो हो चुका, रुख़ से नहीं हटती नक़ाबहद भी आख़िर कुछ है, कब तक कोई दीवाना रहेरात को जा बैठते हैं, रोज़ हम मजनूं के पासपहले अनबन रह चुकी है, अब तो याराना रहेज़िन्दगी का लुत्फ़ हो, उड़ती रहे हरदम रियाज़हम हों, शीशे की परी हो,घर परीखाना रहे
कोई दीवाना कहता हैकोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता हैमगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता हैमैं तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी हैये तेरा दिल समझता है, या मेरा दिल समझता है