ख़ुद को औरों की तवज्जो काख़ुद को औरों की तवज्जो का..ख़ुद को औरों की तवज्जो का तमाशा न करोआइना देख लो, अहबाब से पूछा न करोवह जिलाएंगे तुम्हें शर्त बस इतनी है कि तुमसिर्फ जीते रहो, जीने की तमन्ना न करोजाने कब कोई हवा आ के गिरा दे इन कोपंछियो ! टूटती शाख़ों पे बसेरा न करोआगही बंद नहीं चंद कुतुब-ख़ानों मेंराह चलते हुए लोगों से भी याराना करोचारागर छोड़ भी दो अपने मरज़ पर हम कोतुम को अच्छा जो न करना है, तो अच्छा न करोशेर अच्छे भी कहो, सच भी कहो, कम भी कहोदर्द की दौलते-नायाब को रुसवा न करो
राहत-ए-जाँ से तो ये दिलराहत-ए-जाँ से तो ये दिल..राहत-ए-जाँ से तो ये दिल का बवाल अच्छा हैउस ने पूछा तो है इतना तेरा हाल अच्छा हैमाह अच्छा है बहुत ही न ये साल अच्छा हैफिर भी हर एक से कहता हूँ कि हाल अच्छा हैतेरे आने से कोई होश रहे या न रहेअब तलक तो तेरे बीमार का हाल अच्छा हैये भी मुमकिन है तेरी बात ही बन जाए कोईउसे दे दे कोई अच्छी सी मिसाल अच्छा हैदाएँ रुख़्सार पे आतिश की चमक वजह-ए-जमालबाएँ रुख़्सार की आग़ोश में ख़ाल अच्छा हैक्यों परखते हो सवालों से जवाबों को 'अदीम'होंठ अच्छे हों तो समझो कि सवाल अच्छा है
दुनिया के ज़ोरदुनिया के ज़ोर..दुनिया के ज़ोर प्यार के दिन याद आ गयेदो बाज़ुओ की हार के दिन याद आ गयेगुज़रे वो जिस तरफ से बज़ाए महक उठीसबको भरी बहार के दिन याद आ गयेये क्या कि उनके होते हुए भी कभी-कभीफ़िरदौस-ए-इंत्ज़ार के दिन याद आ गयेवादे का उनके आज खयाल आ गया मुझेशक और ऐतबार के दिन याद आ गयेनादा थे जब्त-ए-गम का बहुत हज़रत-ए-'खुमार'रो-रो जिए थे जब वो याद आ गये
बात इतनी सी थी कि तुम अच्छे लगते थेबात इतनी सी थी कि तुम अच्छे लगते थेअब बात इतनी बढ़ गई है कि तुम बिकुछ अच्छा नहीं लगता
तुमसे मिला था प्यार कुछ अच्छे नसीब थेतुमसे मिला था प्यार कुछ अच्छे नसीब थेहम उन दिनों अमीर थे, जब तुम गरीब थे
निकला करो इधर से भी होकर कभी कभीनिकला करो इधर से भी होकर कभी कभीआया करो हमारे भी घर पर कभी कभीमाना कि रूठ जाना यूँ आदत है आप कीलगते मगर हैं अच्छे आपके ये तेवर कभी कभी