दर्द ही सही मेरे इश्क़ का इनाम तो आयादर्द ही सही मेरे इश्क़ का इनाम तो आयाखाली ही सही होठों तक जाम तो आयामैं हूँ बेवफा सबको बताया उसनेयूँ ही सही चलो उसके लबों पर मेरा नाम तो आया
समझा न कोई हमारे दिल की बात कोसमझा न कोई हमारे दिल की बात कोदर्द दुनिया ने बिना सोचे ही दे दियाजो सह गए हर दर्द को हम चुपके सेतो हमको ही पत्थर दिल कह दिया
इस जहान में कब किसी का दर्द अपनाते हैं लोगइस जहान में कब किसी का दर्द अपनाते हैं लोगरुख हवा का देखकर अक्सर बदल जाते हैं लोग
और भी बनती लकीरें दर्द की शायद कईऔर भी बनती लकीरें दर्द की शायद कईशुक्र है तेरा खुदा जो हाथ छोटा सा दियातूने जो बख्शी हमें बस चार दिन की ज़िंदगीया ख़ुदा अच्छा किया जो साथ छोटा सा दिया
दोस्तों को भी मिले दर्द की दौलत या रबदोस्तों को भी मिले दर्द की दौलत या रबमेरा अपना ही भला हो मुझे मंज़ूर नहीं
इसे इत्तेफाक समझो या दर्द भरी हकीकतइसे इत्तेफाक समझो या दर्द भरी हकीकतआँख जब भी नम हुई वजह कोई अपना ही था