ख़ुशी मुख परख़ुशी मुख पर...ख़ुशी मुख पर प्रवासी दिख रही हैहंसी में भी उदासी दिख रही हैहमारे घर में घुस आई कहाँ सेकुटिलता तो सियासी दिख रही हैउसे खाते हैं खुश हो कर करोंड़ोंजो रोटी तुमको बासी दिख रही है।
राह-ए-वफ़ा में हम को ख़ुशी की तलाश थीराह-ए-वफ़ा में हम को ख़ुशी की तलाश थीदो गाम ही चले थे कि हर गाम रो पड़े
तुम खफा हो गए तो कोई ख़ुशी न रहेगी!तुम खफा हो गए तो कोई ख़ुशी न रहेगीतेरे बिना चिरागों में रोशनी न रहेगीक्या कहे क्या गुजरेगी दिल परजिंदा तो रहेंगे पर ज़िन्दगी न रहेगी