हर एक लम्हे की रग में दर्द का रिश्ता धड़कता हैहर एक लम्हे की रग में दर्द का रिश्ता धड़कता हैवहाँ तारा लरज़ता है जो याँ पत्ता खड़कता हैढके रहते हैं गहरे अब्र में बातिन के सब मंज़रकभी एक लहज़ा-ए-इदराक बिजली सा कड़कता हैमुझे दीवाना कर देती है अपनी मौत की शोख़ीकोई मुझ में रग-ए-इज़हार की सूरत फड़कता हैफिर एक दिन आग लग जाती है जंगल में हक़ीक़त केकहीं पहले-पहल एक ख़्वाब का शोला भड़कता हैमेरी नज़रें ही मेरे अक्स को मजरूह करती हैंनिगाहें मुर्तकिज़ होती हैं और शीशा तड़कता है
कोई रिश्ता नया या पुराना नहीं होताकोई रिश्ता नया या पुराना नहीं होताज़िंदगी का हर पल सुहाना नहीं होताजुदा होना तो किस्मत की बात हैपर जुदाई का मतलब भुलाना नहीं होता
समझौतों की भीड़-भाड़ में सबसे रिश्ता टूट गयासमझौतों की भीड़-भाड़ में सबसे रिश्ता टूट गयाइतने घुटने टेके हमने आख़िर घुटना टूट गयाये मंज़र भी देखे हमने इस दुनिया के मेले मेंटूटा-फूटा बचा रहा है, अच्छा ख़ासा टूट गया
एक अज़ीब सा रिश्ता है मेरे और ख्वाहिशों के दरमियाँएक अज़ीब सा रिश्ता है मेरे और ख्वाहिशों के दरमियाँवो मुझे जीने नही देतीं और मैं उन्हें मरने नही देता
कोई रिश्ता टूट जाये दुख तो होता हैकोई रिश्ता टूट जाये दुख तो होता हैअपने हो जायें पराये दुख तो होता हैमाना हम नहीं प्यार के काबिलमगर इस तरह कोई ठुकराये दुख तो होता है।
मत बनाना रिश्ता इस जहां मेंमत बनाना रिश्ता इस जहां मेंबहुत मुश्किल उन्हें निभाना होगाहर एक रिश्ता एक नया ग़म देगाएक तरफ बेबस तु और एक तरफ हँसता ज़माना होगा