आज तेरी याद हम सीने से लगा कर रोयेआज तेरी याद हम सीने से लगा कर रोयेतन्हाई मैं तुझे हम पास बुला कर रोयेकई बार पुकारा इस दिल ने तुम्हेंऔर हर बार तुम्हें ना पाकर हम रोये
न मेरी कोई मंज़िल है न किनारान मेरी कोई मंज़िल है न किनारातन्हाई मेरी महफ़िल और यादें मेरा सहारातुम से बिछड़ कि कुछ यूँ वक़्त गुज़ाराकभी ज़िंदगी को तरसे तो कभी मौत को पुकारा
परछाइयों के शहर की तन्हाईयाँ ना पूछपरछाइयों के शहर की तन्हाईयाँ ना पूछअपना शरीक-ए-ग़म कोई अपने सिवा ना था