कितने मज़बूर हैं हम तकदीर के हाथोकितने मज़बूर हैं हम तकदीर के हाथोना तुम्हे पाने की औकात रखतेँ हैँ, और ना तुम्हे खोने का हौसला
कुछ हार गयी तकदीर कुछ टूट गए सपनेकुछ हार गयी तकदीर कुछ टूट गए सपनेकुछ गैरों ने बर्बाद किया कुछ छोड़ गए अपने
तकदीर बनाने वालेतकदीर बनाने वाले, तूने भी हद कर दीतकदीर में किसी और का नाम लिखा थाऔर दिल में चाहत किसी और की भर दी
अपनी तकदीर में तो कुछ ऐसे ही सिलसिले लिखे हैंअपनी तकदीर में तो कुछ ऐसे ही सिलसिले लिखे हैंकिसी ने वक़्त गुजारने के लिए अपना बनायातो किसी ने अपना बनाकर 'वक़्त' गुजार लिया
तकदीरें बदल जाती हैतकदीरें बदल जाती है, जब ज़िन्दगी का कोई मकसद होवरना ज़िन्दगी तो कट ही जाती है, तकदीर को इल्जाम देते देते