जीने की तमन्ना बची कहाँ हैजीने की तमन्ना बची कहाँ हैभुलाया जो है हमें आपनेयह तो बेवफ़ाई की हद ही हैजिसे पार किया था हमने
जीने के लिये सोचा ही नहींजीने के लिये सोचा ही नहीं, दर्द संभालने होंगेमुस्कुराये तो, मुस्कुराने के क़र्ज़ उतरने होंगे
ज़रूरी नहीं कि जीने का कोई सहारा होज़रूरी नहीं कि जीने का कोई सहारा होज़रूरी नहीं कि जिसके हम हों वो भी हमारा होकुछ कश्तियाँ डूब जाया करती हैंज़रूरी नहीं कि हर कश्ती के नसीब में किनारा हो
कितना और बदलूँ खुद कोकितना और बदलूँ खुद को, जीने के लिए ऐ ज़िन्दगीमुझमें थोडा सा तो मुझको बाकी रहने दे
कुछ तबीयत ही मिली थी ऐसीकुछ तबीयत ही मिली थी ऐसी, चैन से जीने की सूरत नहीं हुईजिसको चाहा उसे अपना न सके, जो मिला उससे मुहब्बत न हुई
मर्ज़ी से जीने की बस ख्वाहिश की थी मैंनेमर्ज़ी से जीने की बस ख्वाहिश की थी मैंनेऔर वो कहते हैं कि खुदगर्ज़ बन गए हो तुम