एक इंसान मिला जो जीना सिखा गयाएक इंसान मिला जो जीना सिखा गयाआंसुओं की नमी को पीना सिखा गयाकभी गुज़रती थी वीरानों में ज़िंदगीवो शख्स वीरानों में महफ़िल सजा गया
क्या ग़ज़ल सुनाऊँ तुझे देखने के बादक्या ग़ज़ल सुनाऊँ तुझे देखने के बादआवाज़ दे रही है मेरी ज़िंदगी मुझेजाऊं या ना जाऊं मैं तुझे देखने के बाद
तेरे इश्क़ में सब कुछ लुटा बैठातेरे इश्क़ में सब कुछ लुटा बैठामैं तो ज़िंदगी भी अपनी गँवा बैठाअब जीने की तमन्ना न रही बाकीसारे अरमान मैं अपने दफना बैठा