जिंदगी बड़ी अजीब सी हो गयी हैजिंदगी बड़ी अजीब सी हो गयी हैजो मुसाफिर थे वो रास नहीं आयेजिन्हें चाहा वो साथ नहीं आये !
मुझे तलाश है उन रास्तों किमुझे तलाश है उन रास्तों कि,जहां से कोई गुज़रा न हो, सुना हैवीरानों मे अक्सर, जिंदगी मिल जाती है
जिंदगी जैसे जलानी थी वैसे जला दी हमने गालिबजिंदगी जैसे जलानी थी वैसे जला दी हमने गालिबअब धुएँ पर बहस कैसी और राख पर ऐतराज कैसा
दो दिन की जिंदगी हैदो दिन की जिंदगी है, इसे दो उसूलों से जिओरहो तो फूलों की तरह; औबिखरों तो खुशबु की तरह।...
हो कर मायूस न यूँ शाम से ढलते रहिʲहो कर मायूस न यूँ शाम से ढलते रहि90fज़िंदगी भोर है सूरज से निकलते रहिएएक ही पाँव पर ठहरोगे तो थक जाओगेधीरे-धीरे ही सही राह पर सदा चलते रहिए