गम किस को नहीं तुझको भी है मुझको भी हैगम किस को नहीं तुझको भी है मुझको भी हैचाहत किसी एक की तुझको भी है मुझको भी है
तुम ने तो सोचा होगातुम ने तो सोचा होगा, मिल जायेंगे बहुत चाहने वालेये भी ना सोचा कभी कि, फर्क होता है चाहतों में भी
वो शमां की महफिल ही क्यावो शमां की महफिल ही क्या, जिसमें दिल खाक ना होमजा तो तब है चाहत का, जब दिल तो जले पर राख ना हो
हमें उनसे कोई सिकायत नहींहमें उनसे कोई सिकायत नहींशायद हमारी किस्मत में चाहत नहींमेरी तकदीर को लिखकर तो ऊपर वाला भी मुकर गयापूछा तो कहा, 'ये मेरी लिखावट नहीं'
हमने सोचा कि सिर्फ हम ही उन्हें चाहते हैं हमने सोचा कि सिर्फ हम ही उन्हें चाहते हैंमगर उनके चाहने वालों का तो काफ़िला निकलामैंने सोचा कि शिकायत करू खुदा सेमगर वह भी उनके चाहने वालों में निकला