आंसू टपक पड़े बेरोजगार के उस एहसास पर ग़ालिबआंसू टपक पड़े बेरोजगार के उस एहसास पर ग़ालिबकि आंसू टपक पड़े बेरोजगार के उस एहसास पर ग़ालिबजब माँ ने कहा"बेटा खाली बैठा है, जा मटर ही छील ले।
हमारे ऐतबार की हद ना पूछ ग़ालिबहमारे ऐतबार की हद ना पूछ ग़ालिबउसने दिन को रात कहा और हमने पैग बना लिया
मशरूफ रहने का अंदाज़ तुम्हें तन्हा न कर दे ग़ालिबमशरूफ रहने का अंदाज़ तुम्हें तन्हा न कर दे ग़ालिबरिश्ते फुर्सत के नहीं तवज्जो के मोहताज़ होते हैं