बहुत अजीब है यह बंदिशें मोहब्बत कीबहुत अजीब है यह बंदिशें मोहब्बत कीकोई किसी को बहुत टूट कर चाहता हैऔर कोई किसी को चाह कर टूट जाता है
हमने तेरे बाद न रखी किसी से मोहब्बत की आसहमने तेरे बाद न रखी किसी से मोहब्बत की आसएक शक्स ही बहुत था जो सब कुछ सिखा गया
काफ़िर हुए थे जिस की मोहब्बत में कल हमकाफ़िर हुए थे जिस की मोहब्बत में कल हमआज वही शख्स किसी और के लिए मुस्लमान हो गया
ज़रा सी ज़िंदगी हैज़रा सी ज़िंदगी है, अरमान बहुत हैंहमदर्द नहीं कोई, इंसान बहुत हैंदिल के दर्द सुनाएं तो किसकोजो दिल के करीब है, वो अनजान बहुत है
बहुत अजीब हैं ये बंदिशें मोहब्बत कीबहुत अजीब हैं ये बंदिशें मोहब्बत कीकोई किसी को टूट कर चाहता हैऔर कोई किसी को चाह कर टूट जाता है
उसकी मोहब्बत का सिलसिला भी क्या अजीब सिलसिला थाउसकी मोहब्बत का सिलसिला भी क्या अजीब सिलसिला थाअपना भी नहीं बनाया और किसी का होने भी नहीं दिया