मुझ को शिकस्त-ए-दिल का मज़ा याद आ गयामुझ को शिकस्त-ए-दिल का मज़ा याद आ गयातुम क्यों उदास हो गए तुम्हें क्या याद आ गयाकहने को ज़िन्दगी थी बहुत मुख़्तसर मगरकुछ यूँ बसर हुई कि ख़ुदा याद आ गया
चंद कलियाँ नशात की चुन कर मुद्दतों महव-ए-यास रहता हूँचंद कलियाँ नशात की चुन कर मुद्दतों महव-ए-यास रहता हूँतेरा मिलना ख़ुशी की बात सही तुझ से मिल कर उदास रहता हूँनशात = ख़ुशमहव-ए-यास = दुःख में खोन
हर एक मजर पर उदासी छाई हैहर एक मजर पर उदासी छाई हैचाँद की रोशनी में भी कमी आई हैअकेले अच्छे थे हम अपने आशियाने मेंजाने क्यों टूटकर आज फिर आपकी याद आई है।