अभी आँखें खुली हैंअभी आँखें खुली हैं..अभी आँखें खुली हैं और क्या क्या देखने कोमुझे पागल किया उस ने तमाशा देखने कोवो सूरत देख ली हम ने तो फिर कुछ भी न देखाअभी वर्ना पड़ी थी एक दुनिया देखने कोतमन्ना की किसे परवाह कि सोने जागने मेमुयस्सर हैं बहुत ख़्वाब-ए-तमन्ना देखने कोब-ज़ाहिर मुतमइन मैं भी रहा इस अंजुमन मेंसभी मौजूद थे और वो भी ख़ुश था देखने कोअब उस को देख कर दिल हो गया है और बोझलतरसता था यही देखो तो कितना देखने कोछुपाया हाथ से चेहरा भी उस ना-मेहरबाँ नेहम आए थे 'ज़फ़र' जिस का सरापा देखने को
नयी-नयी आँखें हों तोनयी-नयी आँखें हों तो..नयी-नयी आँखें हों तो हर मंज़र अच्छा लगता हैकुछ दिन शहर में घूमे लेकिन, अब घर अच्छा लगता हैमिलने-जुलने वालों में तो सारे अपने जैसे हैंजिससे अब तक मिले नहीं वो अक्सर अच्छा लगता हैमेरे आँगन में आये या तेरे सर पर चोट लगेसन्नाटों में बोलने वाला पत्थर अच्छा लगता हैचाहत हो या पूजा सबके अपने-अपने साँचे हैंजो मूरत में ढल जाये वो पैकर अच्छा लगता हैहमने भी सोकर देखा है नये-पुराने शहरों मेंजैसा भी है अपने घर का बिस्तर अच्छा लगता है
समुंदर में उतरता हूँ तो आँखें भीग जाती हैंसमुंदर में उतरता हूँ तो आँखें भीग जाती हैंतिरी आँखों को पढ़ता हूँ तो आँखें भीग जाती हैंतुम्हारा नाम लिखने की इजाज़त छिन गई जब सेकोई भी लफ़्ज़ लिखता हूँ तो आँखें भीग जाती हैंतिरी यादों की ख़ुशबू खिड़कियों में रक़्स करती हैतिरे ग़म में सुलगता हूँ तो आँखें भीग जाती हैंन जाने हो गया हूँ इस क़दर हस्सास मैं कब सेकिसी से बात करता हूँ तो आँखें भीग जाती हैंहज़ारों मौसमों की हुक्मरानी है मिरे दिल पर'वसी' मैं जब भी हँसता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं
सामने ना हो तो तरसती हैं ये आँखेंसामने ना हो तो तरसती हैं ये आँखेंबिन तेरे बहुत बरसती हैं ये आँखेंमेरे लिए ना सही इनके लिए ही आ जाओक्योंकि तुमसे बेपनाह प्यार करती हैं ये आँखें
ना जाने कब तक ये आँखें उसका इंतज़ार करेंगीना जाने कब तक ये आँखें उसका इंतज़ार करेंगीउसकी याद में कब तक खुद को बेक़रार करेंगीउसे तो एहसास तक नहीं इस मोहब्बत का यारोना जाने कब तक यह धड़कन उसका ऐतबार करेगी
एक ख़्वाब ने आँखें खोली हैंएक ख़्वाब ने आँखें खोली हैं, क्या मोड़ आया है कहानी मेंवो भीग रही है बारिश में, और आग लगी है पानी में