शायद कुछ दिन और लगेंगेशायद कुछ दिन और लगेंगे, ज़ख़्मे-दिल के भरने मेंजो अक्सर याद आते थे, वो कभी-कभी याद आते हैं
ना लिया कर इश्क के इम्तिहान इतने जान मेरीना लिया कर इश्क के इम्तिहान इतने जान मेरीतेरे इश्क के इम्तिहान देते वक्त अक्सर मेरा दिल कुछ उदास होतान कसूर मेरा है ना तेरे उन सवालों काबस परेशानी है तो इतनी कि तेरा पप्पू हमेशा ग्रेस मार्क्स से पास होता है!
भरे बाज़ार से अक्सर मैं ख़ाली हाथ आता हूँभरे बाज़ार से अक्सर मैं ख़ाली हाथ आता हूँकभी ख्वाहिश नहीं होती कभी पैसे नहीं होते
हर बात समझाने के लिए नहीं होतीहर बात समझाने के लिए नहीं होतीज़िंदगी अक्सर कुछ पाने के लिए नहीं होतीयाद अक्सर आती है आपकीपर हर याद जताने के लिए नहीं होती
उनके आने की बंधी थी आस जब तक हमनशींउनके आने की बंधी थी आस जब तक हमनशींसुबह हो जाती थी अक्सर जानिब-ए-दर देखते
अक्सर नींदें चुरा लेता हूँ देखो रिस्क ही रिस्क हूँ मैंअक्सर नींदें चुरा लेता हूँ देखो रिस्क ही रिस्क हूँ मैंबिन बताये दिल में उतर जाता हूँ इश्क़ ही इश्क़ हूँ मैं