हम भी मुस्कुराते थे कभी बेपरवाह अंदाज सेहम भी मुस्कुराते थे कभी बेपरवाह अंदाज सेदेखा है खुद को आज पुरानी तस्वीरों में
अंदाज अपने देखते हैं आईने में वोअंदाज अपने देखते हैं आईने में वोऔर ये भी देखते हैं, कोई देखता न होकल चौदहवीं की रात थी, रात भर रहा चर्चा तेराकुछ ने कहा ये चाँद है, कुछ ने कहा चेहरा तेरा
मेरा यही अंदाज इस जमाने को खलता हैमेरा यही अंदाज इस जमाने को खलता हैकि इतना पीने के बाद भी सीधा कैसे चलता है
देने वाले ने दिया सब कुछ अजब अंदाज सेदेने वाले ने दिया सब कुछ अजब अंदाज सेसामने दुनिया पड़ी है और उठा सकते नहीं...