तन्हाई की आग़ोश में था सुबह से पहलेतन्हाई की आग़ोश में था सुबह से पहलेमिलती रही उल्फ़त की सज़ा सुबह से पहले
रौशनी को तीरगी का क़हर बन कर ले गयारौशनी को तीरगी का क़हर बन कर ले गयाआँख में महफ़ूज़ थे जितने भी मंज़र ले गया* तीरगी- अँधेर
ये कैफ़ियत है मेरी जान अब तुझे खो करये कैफ़ियत है मेरी जान अब तुझे खो करकि हम ने ख़ुद को भी पाया नहीं बहुत दिन से
कैसे कह दूँ कि मुलाक़ात नहीं होती हैकैसे कह दूँ कि मुलाक़ात नहीं होती हैरोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है
तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगातुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगायूँ करो जाने से पहले मुझे पागल कर दो