उसको चाहा पर इज़हार करना नहीं आयाउसको चाहा पर इज़हार करना नहीं आयाकट गयी उम्र पर हमें प्यार करना नहीं आयाउसने कुछ माँगा भी तो मांगी जुदाईऔर हमें भी इंकार करना नहीं आया
अगर जिंदगी में जुदाई न होतीअगर जिंदगी में जुदाई न होतीतो कभी किसी की याद न आई होतीअगर साथ गुजरा होता, हर लम्हातो शायद रिश्तों में इतनी, गहराई न होती
कुछ बिखरे सपने और आँखों में नमी हैकुछ बिखरे सपने और आँखों में नमी हैएक छोटा सा आसमान और उमीदों की ज़मीं हैयूँ तो बहुत कुछ है ज़िंदगी मेंबस जिसे चाहते हैं उसी की कमी है
दिल की धड़कन कोदिल की धड़कन को, एक लम्हा सबर नहींशायद उसको अब मेरी ज़रा भी कदर नहींहर सफर में मेरा कभी हमसफ़र था वोअब सफर तो है मगर वो हमसफ़र नहीं
हो जुदाई का सबब कुछ भी मगरहो जुदाई का सबब कुछ भी मगरहम उसे अपनी खता कहते हैंवो तो साँसों में बसी है मेरेजाने क्यों लोग उसे मुझे जुदा कहते हैं
बारिश के बाद तार पर टंगी आखिरी बूँद से पूछनाबारिश के बाद तार पर टंगी आखिरी बूँद से पूछनाक्या होता है अकेलापन