ये आईने क्या दे सकेंगे तुम्हे तुम्हारी शख्सियत की खबरये आईने क्या दे सकेंगे तुम्हे तुम्हारी शख्सियत की खबरकभी हमारी आँखो से आकर पूछो, कितने लाजवाब हो तुम
जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगताजिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगतामुझे पामाल रस्तों का सफ़र अच्छा नहीं लगता
इक फ़ुर्सत-ए-गुनाह मिली वो भी चार दिनइक फ़ुर्सत-ए-गुनाह मिली वो भी चार दिनदेखे हैं हम ने हौसले पर्वरदिगार के