अगर सीखना है दिये से तो जलना नहीं मुस्कुराना सीखो; अगर सीखना है सूरज से तो डूबना नहीं रौशनी फैलाना सीखो; अगर पहुँचना हो शिखर पर तो; रास्ते पर चलना नहीं, रास्ते बनाना सीखो।
ना कर आसमान की हसरत ज़मीन की तालाश कर; सब है यहीं कहीं और ना इसकी आस कर; पूरी हो अगर हर आरज़ू तो क्या मज़ा है; अगर जीना है तो एक हसीन वजह की तालाश कर।
निगाहों में मंज़िल थी; गिरे और गिर कर संभलते रहे; हवाओं ने बहुत कोशिश की; मगर चिराग आंधियों में भी जलते रहे।
मंज़िले इंसान के हौंसले आज़माती हैं; सपनों के परदे आँखों से हटाती हैं; तू हिम्मत मत हारना ऐ दोस्त; क्योंकि ठोकरें ही तू इंसान को चलना सिखाती हैं।
तूफ़ान में कभी ताश का घर बनता; रोने से कभी बिगड़ा मुक़द्दर नहीं संवरता; दुनिया को जीतने का हौंसला रखो; एक बार हारने से कोई फ़क़ीर नहीं बनता; एक बार जीतने से कोई सिकंदर नहीं बनता।
तारों में अकेला चाँद जगमगाता है; मुश्किलों में अकेला इंसान डगमगाता है; काँटों से मत घबराना मेरे दोस्त; क्योंकि काँटों में ही तो एक गुलाब मुस्कुराता है।
आ छू ले आसमान को, ज़मीन की तू आस न कर; हँसते हुए जी ले ये ज़िन्दगी, खुशियों की तू तलाश न कर; ग़मों को कर दे दूर तेरी किस्मत भी बदलेगी; सीख ले तू मुस्कुराना, हारने की तू परवाह न कर।
हर दर्द की एक पहचान होती है; ख़ुशी चंद लम्हों की मेहमान होती है; वही बदलते हैं रुख हवाओं का; जिनके इरादों में जान होती है।
अपने ग़मों की तू नुमाईश न कर; अपने नसीब की यूँ आज़माईश न कर; जो तेरा है वो खुद तेरे दर पर चल कर आएगा; रोज़ उसे पाने की ख्वाहिश न कर।
आँधियों को ज़िद्द है जहाँ बिजलियाँ गिराने की; मुझे भी ज़िद्द है वही आशियाँ बसाने की; हिम्मत और हौंसले बुलंद हैं, खड़ा हूँ अभी गिरा नहीं हूँ; अभी जंग बाकी है और मैं भी अभी हारा नहीं हूँ।
सामने हो मंज़िल तो रास्ते न मोड़ना; जो भी मन में हों वो सपने न तोडना; क़दम -क़दम पे मिलेगी मुश्किल आपको ; बस सितारे चुनने के लिए कभी ज़मीन मत छोड़ना।
रख हौंसला वो मंज़र भी आएगा; प्यासे के पास चल के समंदर भी आएगा; थक कर न बैठ मंज़िल के मुसाफिर; मंज़िल भी मिलेगी और मिलने का मज़ा भी आएगा।