आगे तो परीजाद ये रखते थे हमें घेर

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आगे तो परीजाद ये रखते थे हमें घेर
आते थे चले आप जो लगती थी ज़रा देर
सो आके बुढ़ापे ने किया हाय ये अंधेरे
जो दौड़ के मिलते थे वो अब हैं मुंह फेर

This is a great हमें शायरी चाहिए.

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