कुछ यादगार-ए-शहर-ए-सितमगर ही ले चलें

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कुछ यादगार-ए-शहर-ए-सितमगर ही ले चलें
आये हैं तो फिर गली में से पत्थर ही ले चलें
रंज-ए-सफ़र की कोई निशानी तो पास हो
थोड़ी-सी ख़ाक-ए-कूचा-ए-दिलबर ही ले चलें

This is a great पत्थर के सनम शायरी. If you like पत्थर दिल शायरी then you will love this. Many people like it for पत्थर पर शायरी. Share it to spread the love.

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