जिनका मिलना मुकद्दर मे लिखा नही होता.उनसे मुहबत कसम से कमाल की होती है ।तेरे बाद हमने इस दिलका दरवाज़ा खोला ही नही“वरना” बहुत से चाँद आये इस घर को सजाने के लिए.आज़ाद कर दूंगा तुमको अपनी मुहब्बत की क़ैद सेकरे जो हमसे बेहतर तुम्हारी क़दर पहले वो शख्स तो ढूँढो.आप जब तक रहेंगे आंखों में नजारा बनकर.रोज आएंगे मेरी दुनिया में उजाला बनकर.नहीं अब जख़्म कोई ग़हरा चाहिये.बस तेरी दुआओं का पहरा चाहियेजहर से खतरनाक है यह मोहब्बतजरा सा कोई चख ले तो मर मर के जीता हैसारा झगड़ा ही ख्वाहिशो का हैना गम चाहिए ना कम चाहिए..!!गुमनामी का अँधेरा कुछ इस तरह छा गया है.की दास्ताँ बन के जीना भी हमे रास आ गया हैजिसकी वजह से मेंने छोड़ी अपनी साँस.आज वो ही आके पूछती हे किसकी हे ये लाश।मोहब्बत नही थी तो एक बार समझाया तो होता.बेचारा दिल तुम्हारी खामोशी को इश्क़ समझ बैठा
This is a great बहुत अच्छी शायरी. If you like अजीब दुनिया शायरी then you will love this. Many people like it for अपनी पहचान शायरी.