कौन रोकेगा अब इन बहती हुई आँखों को

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कौन रोकेगा अब इन बहती हुई आँखों को
क्योंकि रुलाना तो पुरानी आदत है ज़माने की
एक ही शख्स था जो थाम लेता था हमको
पर अब उसे भी आदत हो गयी है आज़माने की

This is a great आँखों का काजल शायरी. If you like आँखों के लिए शायरी then you will love this. Many people like it for तेरी आँखों शायरी.

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