यह रात इतनी तन्हा क्यों होती है

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यह रात इतनी तन्हा क्यों होती है
किस्मत से अपनी सबको शिकायत क्यों होती है
अजीब खेल खेलती है ये किस्मत भी
जिसे पा नहीं सकते उसी से मोहब्बत क्यों होती है

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