कोई खुशियों की चाह में रोया

SHARE

कोई खुशियों की चाह में रोया
कोई दुखों की पनाह में रोया
अजीब सिलसिला है ये ज़िन्दगी का
कोई भरोसे के लिए रोया
और कोई ऐतबार कर के रोया

This is a great खुशियों की शायरी.

SHARE