तू साहिल है मेरा और जिन्दगी कश्ती हैतेरी आँखों में देख के खुशी हँसती हैना जा हो कर नाराज़ कहीं दूर मुझसेतेरे दिल में ही साँसें मेरी बसती हैंदेता नहीं दीदार कभी क्यों मुझ को तूप्यास-ए-दीदार में आँखें तरसती हैंदेखता हूँ बैठे दो पक्षियों को साथतेरी याद में तब आँखें बरसती हैंबड़ा गुमान है क्यों तुझको खुद पेक्या है पहचान तेरी क्या तेरी हस्ती हैआज जाना है दिल के टूटने पे हमनेमोहब्बत की नहीं दिलजलों की बस्ती है