नींद की ओस से

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नींद की ओस से..
नींद की ओस से पलकों को भिगोये कैसे
जागना जिसका मुकद्दर हो वो सोये कैसे
रेत दामन में हो या दश्त में बस रेत ही है
रेत में फस्ल-ए-तमन्ना कोई बोये कैसे
ये तो अच्छा है कोई पूछने वाला न रहा
कैसे कुछ लोग मिले थे हमें खोये कैसे
रूह का बोझ तो उठता नहीं दीवाने से
जिस्म का बोझ मगर देखिये ढोये कैसे
वरना सैलाब बहा ले गया होगा सब कुछ
आँख की ज़ब्त की ताकीद है रोये कैसे

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