आए हैं मीर मुँह को बनाए

SHARE

आए हैं मीर मुँह को बनाए..
आए हैं मीर मुँह को बनाए जफ़ा से आज
शायद बिगड़ गयी है उस बेवफा से आज
जीने में इख्तियार नहीं वरना हमनशीं
हम चाहते हैं मौत तो अपने खुदा से आज
साक़ी टुक एक मौसम-ए-गुल की तरफ़ भी देख
टपका पड़े है रंग चमन में हवा से आज
था जी में उससे मिलिए तो क्या क्या न कहिये 'मीर'
पर कुछ कहा गया न ग़म-ए-दिल हया से आज

This is a great बेवफा शायरी 2017. If you like ऐ खुदा शायरी then you will love this. Many people like it for खुदा की इबादत शायरी. Share it to spread the love.

SHARE