ज़रा से झौंके को

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ज़रा से झौंके को..
ज़रा से झौंके को तूफ़ान कहते हो
ज़रा सा छप्पर है आसमान कहते हो
उठो पहचानों मृग-मरीचिका को
मुट्ठी भर रेत को रेगिस्तान कहते हो
अब बदलनी पड़ेगी परिभाषाएँ
सोचो तुम किसको इंसान कहते हो
नैनों का जल अभी सूखा नहीं
पहचानों जिन्हें महान कहते हो
सूचियां सब सार्वजानिक तो करो
जानते हो जिनको भगवान कहते हो
जमानें को मालूम है बदमाशियां
कैसे अपने को नादान कहते हो
कभी झांके हो अपने भीतर
फिर क्यों औरों को शैतान कहते हो।

This is a great कृष्ण भगवान शायरी. If you like अच्छा इंसान शायरी then you will love this. Many people like it for अपने पराये शायरी. Share it to spread the love.

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