छेड़ने का तो मज़ा तब है कहो और सुनो

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छेड़ने का तो मज़ा तब है कहो और सुनो
बात में तुम तो ख़फ़ा हो गये, लो और सुनो
तुम कहोगे जिसे कुछ, क्यूँ न कहेगा तुम को
छोड़ देवेगा भला, देख तो लो, और सुनो
यही इंसाफ़ है कुछ सोचो तो अपने दिल में
तुम तो सौ कह लो, मेरी एक न सुनो और सुनो
आफ़रीं तुम पे, यही चाहिए शाबाश तुम्हें
देख रोता मुझे यूँ हँसने लगो और सुनो
बात मेरी नहीं सुनते जो अकेले मिल कर
ऐसे ही ढँग से सुनाऊँ के सुनो और सुनो

This is a great अकेले की शायरी. If you like अपने पराये शायरी then you will love this. Many people like it for मुझे माफ करना शायरी.

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