हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है

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हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है
तुम्ही कहो कि ये अंदाजे-गुफ्तगू क्या है
न शोले में ये करिश्मा न बर्क में ये अदा
कोई बताओ कि वो शोखे-तुंद-ख़ू क्या है
ये रश्क है कि वो होता है हमसुखन तुमसे
वरगना खौफे-बद-अमोजिए-अदू क्या है
चिपक रहा है बदन लहू से पैरहन
हमारी जेब को अब हाजते-रफू क्या है
जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा
कुरेदते हो जो अब राख, जुस्तजू क्या है
बना है शह का मुसाहिब, फिरे है इतराता
वगरना शहर में ग़ालिब कि आबरू क्या है

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