रची है रतजगो की

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रची है रतजगो की..
रची है रतजगो की चाँदनी जिन की जबीनों में
क़तील एक उम्र गुज़री है हमारी उन हसीनों में
वो जिनके आँचलों से ज़िन्दगी तख़लीक होती है
ढड़ाकता है हमारा दिल अभी तक उन हसीनों में
ज़माना पारसाई की हदों से हम को ले आया
मगर हम आज तक रुस्वा हैं अपने हमनशीनों में
तलाश उन को हमारी तो नहीं पूछ ज़रा उन से
वो क़ातिल जो लिये फिरते हैं ख़न्जर आस्तीनों में

This is a great ज़िन्दगी और मौत शायरी. If you like पत्नी के लिये शायरी then you will love this. Many people like it for हमारी अधुरी कहानी शायरी. Share it to spread the love.

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