कभी अकेले में मिल

SHARE

कभी अकेले में मिल..
​कभी अकेले में मिल कर झंझोड़ दूंगा उसे​
​जहाँ​-​जहाँ से वो टूटा है​ ​जोड़ दूंगा उसे;​
​​
​मुझे छोड़ गया ​ ​ये कमाल है​ ​उस का​
​इरादा मैंने किया था के छोड़ दूंगा उसे​
​पसीने बांटता फिरता है हर तरफ सूरज​
​कभी जो हाथ लगा तो निचोड़ दूंगा उसे​
.
​मज़ा चखा के ही माना हूँ ​मैं भी दुनिया को​
​समझ रही थी के ऐसे ही ​छोड़ दूंगा उसे​
.
​बचा के रखता है​ खुद को वो मुझ से शीशाबदन​;
उसे ये डर है के तोड़​-​फोड़ दूंगा उसे​

This is a great अकेले की शायरी. If you like अकेले पन की शायरी then you will love this. Many people like it for अकेले पर शायरी. Share it to spread the love.

SHARE