आजकल बज़्म में आते हुए डर लगता है

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आजकल बज़्म में आते हुए डर लगता है
क्या कहें कुछ भी सुनाते हुए डर लगता है
बात करते थे कभी दिल से दिल मिलाने की
आज तो आँख मिलाते हुए डर लगता है
प्यार करते हैं तुम्हें यह तो सही है लेकिन
तुमको यह बात बताते हुए डर लगता है
जबसे इंन्सानों की बस्ती में बसे हैं यारो
ख़ुद को इंसान बताते हुए डर लगता है
इस क़दर हमको छला दिन के उजालों ने यहाँ
अब कोई दीप जलाते हुए डर लगता है
ये मेहरबान कहीं तेरा क़फन छीन न लें
लाश मरघट पे सजाते हुए डर लगता है।

This is a great अच्छा इंसान शायरी. If you like तेरा इंतज़ार शायरी then you will love this. Many people like it for तेरा इंतजार शायरी.

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