जाने किस बात

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जाने किस बात..
जाने किस बात पे उस ने मुझे छोड़ दिया है फ़राज़
मैं तो मुफलिस था किसी मन की दुआओं की तरह
उस ​शख्स को तो बिछड़ने का सलीका नहीं फ़राज़
जाते हुए खुद को मेरे पास छोड़ गया
अब उसे रोज सोचो तो बदन टूटता है फ़राज़
उम्र गुजरी है उसकी याद नशा करते ​-​करते
बे-जान तो मै अब भी नहीं फराज
मगर जिसे जान कहते थे वो छोड़ गया
जब्त ऐ गम कोई आसान काम नहीं फराज
आग होते है वो आंसू , जो पिए जाते हैं
क्यों उलझता रहता है तू लोगो से फराज
ये जरूरी तो नहीं वो चेहरा सभी को प्यारा लगे

This is a great जाने वाले शायरी.

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